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दोस्तों आज हम आपको अपनी वेबसाइट पर पर्यावरण पाठ योजना कक्षा 5 की पूरी जानकारी देने जा रहे हैं ताकि आप आसानी पूर्वक पाठ योजना गणित को डाउनलोड कर सकें और अपनी पढ़ाई को पूरा कर सकें पाठ योजना पर्यावरण कक्षा 5/पर्यावरण लेसन प्लान को पूरा देखने के लिए आपको हमारे इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ना होगा हम आपको इसमें ही सारी जानकारी प्रदान करेंगे!!!!!!!!!!!!
पाठ पर्यावरण योजना कक्षा-5
( पाठ 1 से 25 तक ) = [01. रिश्तों की समझ, 02. परिवारों का आना जाना, 03. कुछ खास हैं हम, 04. मिलकर करें सफाई, 05. आओ, खेले खेल, 06. बीज बना पौधा, 07. वृक्षों की महिमा, 08. जीव-जंतुओं की निराली दुनिया, 09. कहाँ-कहाँ से पानी, 10. जल ऊपर से नीचे की ओर, 11. जल में जीवन, 12. गंदा पानी, फैलाए रोग, 13. पानी से खेलें, 14. खाने से पचने तक, 15. जब चाहें, तब खाएँ, 16. हमारे गौरव-III, 17. अपना जिला, 18. तरह-तरह के घर, 19. जब आई आपदा, 20. खेती से खुशहाली, 21. जीवन है अनमोल, 22. कैसे बचाएँ इंधन, 23. हमारी विरासत, 24. पहाड़ों की सैर, 25. हमारी पृथ्वी व अंतरिक्ष
प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण निम्नलिखित प्रकार का हो सकता है :
-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं रेडियोधर्मी प्रदूषण
-यहां हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों के बारे में संक्षेप में बात करेंगे ।
वायु प्रदूषण
-हम जानते हैं कि मानव श्वसन के लिए वायु पर ही निर्भर करता है ।
-वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है ।
-कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, और सल्फर डाइऑक्साइड, इत्यादि प्रमुख वायु प्रदूषक गैसे हैं ।
-वायु प्रदूषण के कारण पौधों में क्लोरोसिस नामक रोग हो जाता है, जिसमें पत्तियों का पर्णहरिम नष्ट हो जाता है ।
-वायु प्रदूषण के कारण मानव में आंखो का लाल होना टांसिल सिर दर्द उल्टी आना चक्कर आना रक्तचाप चिड़चिड़ापन एवं एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं ।
-वायु प्रदूषण के कारण संक्रामक रोग जैसे की तपेदिक श्वास रोग निमोनिया एवं जुकाम आदि भी हो सकते हैं ।
-अम्ल वर्षा एवं हरित ग्रह प्रभाव भी वायु प्रदूषण की देन हैं ।
वायु प्रदूषक | दुष्परिणाम |
कार्बन डाइऑक्साइड | ग्रीन हाउस इफेक्ट एवं ग्लोबल वार्मिंग |
कार्बन मोनोऑक्साइड | कैंसर, श्वसन एवं मानसिक विकार |
सल्फर डाइऑक्साइड | आंखों में जलन, गले में खराश एवं फेफड़ो को क्षति |
नाइट्रिक ऑक्साइड | हृदय रोग एवं प्रतिरोधक क्षमता संबंधी रोग |
शीशा या लेड | तंत्रिका तंत्र एवं वृक्क आदि के रोग |
फ्लोराइड | दांतों व हड्डियों संबंधी समस्याएं |
क्लोरीन | आंख नाक कान का संक्रमण |
ओजोन | नेत्र संबंधी विकार एवं खांसी |
-वायु प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण कानून सन 1981 में भारत में लागू हुआ ।
जल प्रदूषण
जल प्रदूषण के विभिन्न कारक हो सकते हैं उनमे से कुछ निम्न है :
-कारखानों से निष्कासित होने वाला दूषित जल जिसमें पारा सीसा आज्ञा हानि का रसायनिक पदार्थ हो सकते हैं ।
-जलस्रोतों में बहा दिए जाने वाला मल मूत्र भी जल प्रदूषण का कारण है इसके कारण जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और जलीय जीवन प्रभावित होता है ।
-घरेलू अपमार्जक भी जलीय प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, विभिन्न फिनायल, डीडीटी एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ इसका उदाहरण है ।
-कृषि में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न रसायनिक कीटनाशक एवं उर्वरक म्रदा जल व वायु तीनों को प्रदूषित करते हैं ।
-0.1 प्रतिशत की गंदगी वाला जल भी मानव प्रयोग लायक नहीं माना जाता है ।
-भारत सरकार ने सन 1974 में जल प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण कानून जल संरक्षण के लिए लागू किया ।
मृदा प्रदूषण
-प्रदूषित जल तथा वायु ही मृदा के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, अम्लीय वर्षा इसका एक अच्छा उदाहरण है ।
-इसके अलावा प्रमुख रूप से कृषि में अधिक उपज प्राप्त करने हेतु विभिन्न रासायनिक उर्वरकों कवकनाशीयो, कीटनाशियों तथा खरपतवारनाशीयो का छिड़काव मृदा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है ।
ध्वनि प्रदूषण
-मानव के कान 180 डेसिबल तक की ध्वनि के प्रति संवेदी होते हैं ।
-80 डेसीबल से अधिक की ध्वनि को शोर माना जाता है ।
-सामान्य बातचीत की ध्वनि 60 डेसीबल होती है ।
-ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्यों में एवं जंतुओं में चिड़चिड़ापन उच्च रक्तचाप अशांति मानसिक -समस्याएं सिरदर्द चक्कर आना एवं उल्टी इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं ।
Read here:पाठ योजना गणित कक्षा-5
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